अरबी मुल्कों की कारस्तानी और हम
कहां से कहां पहुंच गए हम?? अरबों में इज़्राईल को तस्लीम करने की होड़ लग चुकी है , नेशनल डे के नाम पर ठुमके लग रहे हैं और जब तनक़ीद करो तो लोगों को बुरा लगता है..मगर नबी(अ०स०) की वह ह़दीस़ किसी को याद नहीं आती जिसका मफ़हूम है कि.. तुम संख्या में कम नहीं होगे बल्कि दुनिया की मोह़ब्बत में घिर चुके होगे , इसलिए बड़ी तादाद होने के बावजूद पिटते रहोगे.. इस बात पे लगभग ज़्यादातर अइम्मा उल्मा मशाएख़ मुत्तफ़िक़ हैं कि इमाम मेहदी के ज़हूर के वक़्त मुसलमानों की अक्सरीयत इमाम मेहदी की मुख़ालफ़त करेगी यानि दज्जाल की ह़िमायत में रहेगी.. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं होगा बल्कि तारीख़ ख़ुद को दोहराएगी..ह़ज़रत मूसा(अ०स०) के वक़्त बनी-इज़्राईल ने उनकी मुख़ालफत की , बाद में ह़ज़रत ईसा(अ०स०) बनी इज़्राईल की तरफ भेजे गए तो यहूदियों ने उनकी भी जमकर मुख़ालफत की..यहां तक कि उन्हें फांसी तक लगाने की साज़िश कर डाली..मगर अल्लाह ने उन्हें ज़िन्दा आसमान पर उठा लिया.. बात यहीं ख़त्म नहीं होती..जब हमारे प्यारे नबी(स०अ०व०) ने इस्लाम की दावत देनी शुरू की तो यहूद-ओ-नस़ारा दोनों ने आपके पैग़ाम को ठुकरा दिया..हालांकि दोनों क़ौमों की आसमानी किताबों में...