बिडेन या ट्रम्प
मेरी किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति से कोई सहानूभूती या सपोर्ट नहीं क्योंकी मुसलमानो के खिलाफ़ हर राष्ट्रपति की पॉलिसी एक सी ही रहती है, जब बराक ओबामा प्रेसीडेंट बने थे तब लोगो ने कहा था वो अफ्रीकी मूल के काले हैं जिनके बाप दादा मुसलमान थे लेकिन बराक ने क्या किया से सबको मालूम है इसके ट्रंप ने अपने पहले चुनाव प्रचार में मुसलमानो के खिलाफ़ ज़हर उगल कर माहौल अपने पक्ष में बना लिया था उन्होनो मुसलमानो को बाहर करने की बात कही थी उन्होने अमेरीका फर्स्ट को अपनी निती बनाया ये राष्ट्रवाद की चरस बहुत घातक है जिसपर दुनिया भर मे कई देश चल चुके हैं।
ये सब जानते हैं ट्रंप जीतने के बाद मुसलमानो का कुछ ना कर पाए उल्टा H1 विज़ा कैंसिल करके लाखों भारतिय लोगो का भविष्य अधर में लटका दिया था जबकी यहां तो उनके जीतने के लिये लागातार हवन हुए हैं और भारत में तो उनका मंदिर तक है, हालांकी उनके लिये हवन करने वाले वही लोग हैं जो पैंसेजर ट्रेन तक में बिना टिकट यात्रा करते हैं यहां ट्रंप का मंदिर और हवन करने के पीछे मक़्सद ये था कि ट्रंप ने मुसलमान विरोधी बयान दिये है जो यहां के अंध भक्तो को तसल्ली बख़्शते हैं यही वजह रही की ट्रंप के अहमदाबाद में हुए नमस्ते ट्रंप पर किसी ने उंगली नहीं उठाई जबकी गुजरात में कोरोना लाने वाला ट्रंप ही था, गुजरात में कोरोना ने जो कहर ढाया है वो किसी लोकल गुजराती से पूछिये बाकी मीडीया ने तो अपने मालिक को बचाने के लिये हर जगह पर्दे डाल ही रखे है।
आप को याद होगा हाल ही में अपने कैंपेन के दौरान ट्रंप ने कहा था भारत की हवा खराब है इसके बहुत मायने थे पर्यावरण और जो यहां सांप्रदायिक ज़हर घोला जा रहा है उसकी तरफ़ इशारा था, कोरोना पर तब्लीग़ जमात को घेरने पर भी अमेरीका ने डारेक्ट भारत की इस निती का काउंटर किया था कि आप महामारी को भी धार्मिक आधार पर बांट रहे हो, कल की बात है जूनियर ट्रंप ने दुनिया का जो नक्शा ट्विट किया था उसमें कश्मीर को अलग दर्शाया और साथ ही नॉर्थ ईस्ट को भी लेकिन ट्रंप के यार में इतनी हिम्मत नहीं की उसे लाल आंख दिखा सके, ट्रंप ने एक भी काम भारत के हित में नहीं किया सिवाए फेकम फाकी के वो समझ गया था की भक्त और उनके कागज़ी शेर को कैसे डील करना है।
ट्रंप का एक काम बहुत अच्छा रहा की उसके कार्यकाल में कहीं जंग नहीं हुई ना ही कोई नया मोर्चा खोला गया जबकी एक उसने इस्राइल के हक़ में बहुत बड़ा कर दिया वो ये की अरबों से पीस डील साईन करवा दी हांलाकि राष्ट्रपति कोई भी हो ये काम तो निरंतर चलता रहेगा।
अब जो बाईडन सत्ता में आने वाले हैं उन्होंने डिबेट के दौरान 'इंशाअल्लाह' कह कर मीडीया और इंटरनेट पर सनसवी पैदा कर दी था और कुछ वीडीयो में वो इस्लाम और मुसलमानो के पक्ष में बात करते भी दिख रहे हैं और इसका नतीजा ये रहा उन्हे 67% मुस्लिमो के वोट मिले उन्हे ' Black live matters ' आंदोलन का फ़ायदा भी मिला अब देखना ये है कि उनकी नितीयां क्या होती है लेकिन एक बात तो तय है मौजूदा वैश्वीक राजनेतिक मंज़र देखते हुए लग रहा है कश्मीर का मुद्दा अब अंतरराष्ट्रिय स्तर पर खींचा जा सकता है किसी तीसरे मुल्क द्वारा
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