Symbol War
यहूदियत सबसे पुराना मोनोथिएस्टिक ऐंसीएन्ट अब्राहमिक धर्म है जिसका विस्तार , इतिहास , और रियावायात , मौकुफ़ , मक़सद , अज़ाइम ऐसी तमाम बातों पर बात करने के लिए आप पूरी तरह से प्रोफेसि प्रिडिक्शन पर डिपेंड करते हैं ........
दरअस्ल जिस धर्म के अनुयायियों की पूरी तारीख़ प्रोफेसि प्रिडिक्शन्स को फॉलो करते हुए गुज़री , उन्हीं लोगों ने आधुनिकतावाद की चरस देकर बाक़ी लोगों के लिए रिलिजियस प्रिडिक्शन्स को दकियानूसी और मेन्टल बैकवर्डनेस करार दिया और बाकी दुनिया के लिए यह थ्योरी कॉन्स्प्रेसि (विवादित) बन कर रह गईं ।
लेकिन तथ्य पर बात भी करें तो आप अगर जायनिज़म के फ़ासीवाद और आतंकवाद पर बात करेंगे या होलोकॉस्ट का ज़िक्र करेंगे तो उसे एन्टीसेमिटिज़्म करार देते हुए आपकी फ्रीडन ऑफ स्पीच का बेसिक राइट भी खतरे में पड़ जाता है
लेकिन अभी कल से यहूदी धार्मिक चिन्हों को नोटपैड बैकग्राउंड में ठूंसना कौनसा लिब्रलिज़्म और कौनसा सर्व धर्म समभाव है ?
सिर्फ इसलिए कि फेसबुक का मालिक एक यहूदी है तब भी क्या पब्लिक प्लेटफार्म पर इस तरह के धर्मिक चिन्हों को थोपना क्या इस प्लेटफार्म के सोशलिज्म पर आघात नहीं है ?
और वह भी ऐसे धर्मिक चिन्ह जिनके बैड इंटेंस को लेकर दुनियाभर के दूसरे धर्म शक़ का इज़हार करते रहे हैं ।
Chai (हिब्रु शब्द) दो शब्दों chet और yud से मिलकर बना है जिसका न्यूमेरिक वैल्यू 18 होता ,(6+6+6)
स्टार ऑफ डेविड दो प्रमिड के परस्पर जुड़ने से बनी आकृति है
स्टार ऑफ डेविड के भी 6 कॉर्नर अंदर 6 छोटे प्रमिड बनते हैं .. सितारे के बीच गोलार्ध को यह लोग ईश्वर दर्शन के लिए एकटक देखते रहते हैं ।
मनुस्मृति की वर्ण व्यवस्था को चित्रित करें तो वह भी एक पिरामिड की शक़्ल अख्तियार करता है ।
और भारतीय सरकार द्वारा प्रस्तावित नया संसद भवन का नक्शा भी त्रकोन है ।
चलो हम मान लेते हैं यह महज को इंसिडेंस है
इब्ने आदम को कैटेगराइज़ करने , उन्हें अपना यरगमाल बनाने और रिलिजियस बेस्ड सुप्रियारिटी की जितनी भूख जायनिस्टों में उतनी ही मनुवादी सवर्णों में है ।
दोनों का सीमा विस्तार चरस भी एक समान है ,
यह धर्म आधारित अखण्ड हिन्दू राष्ट्रय का ख्वाब के लिए सरगर्म हैं तो वह आलरेडी धर्म आधारित ग्रेटर इज़राईल का ख़्वाब को ताबीर करने की जद्दो जहद में तमाम तर पूंजी और वसाइल पर कब्ज़ा करके मुसलसल आम फ़हम इंसानों का खून चूस रहे हैं
सिम्बल्स और उनके बैड इंटेंस को लेकर काफ़ी कॉन्स्प्रेसिज़ हैं लेकिन मैं बस इतना ध्यान दिलाना चाहता हूं कि
मुसलमानों और यहूदियों में बहुत ज़्यादा धार्मिक समानताएं हैं , दोनों के ग्रांड फ़ादर इब्राहिम अलैह. हैं , तमाम नबियों पर इज़्मा है , कुर्बानी , खतना , मांसाहार , एकेश्वरवाद , ईश्वर का निरंकार स्वरूप की मान्यता , यहूदियों का रोज़ तीन वक़्त इबादत और रोज़ा लगभग एक जैसा तौर है , इन्हें अहले क़िताब होने का तमग़ा हासिल है फिर भी यह दो धर्म सबसे ज़्यादा धार्मिक दुश्मनी रखते हैं ।
मूर्ति पूजा के ख़िलाफ़ यहूदी मुसलमानों से भी इतने ज़्यादा कट्टर कि इज़राईल में चर्च है , मस्जिद है , लेकिन इस ग्लोबल वक़्त में भी .... और हिन्दू कम्युनिटी के अंध प्रसंशकों के बावजूद इज़राईल में एक भी हिन्दू टेम्पल नहीं है और यह कभी बनेगा भी नहीं ।
जबकि पाकिस्तान , बंगलादेश , और अब UAE इसके अलावा दूसरे मुस्लिम देशों में हिन्दू। मन्दिर हैं , इंडोनेशिया के तो करेंसी पर श्री गणेश का फ़ोटो है ।
उसके बावज़ूद यहूदी और हिन्दुइज़्म करीबी दोस्त के तौर पर देखे जाते हैं ... और कॉमन वे में दोनों ही धर्म मुसलमानों के प्रति घोर दुश्मनी रखते हैं ।
वजह एक है , यह दोनों क़ौमे और बहुत से क्रिस्चियन प्रोटेस्टेंट शैतान की नफरी और कुमक हैं ।
और इनके मद्दे मुक़ाबिल कोई दीवार हायल है तो वह सिर्फ #इस्लाम है ।
बाकी दुनिया के किसी इज़्म और ऐडिओलीजि की यह औक़ात नहीं बची है जो इनके मद्दे मुक़ाबिल आ सके ।
वह ज़ायनिस्ट जो अपने मुल्क में एक मंदिर गवारा नहीं कर सकते , वह धड़ल्ले से सोशल प्लेटफॉर्म पर अपने धर्मिक प्रतीकों को हर हाथ तक पहुँचा दिए , बड़े हैरत की बात है कि ज़रा ज़रा सी बात पर हाय तौबा करने वाले एथिएस्ट , कम्युनिस्ट , फ़ासीवादी , गुफ़ा पुत्र , ऑर्थोडॉक्स , कैथलिक किसी की भावनाएं आहत नहीं हुई ।
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