वाट्सएप्प और डेटा प्राइवेसी
सस्ती या फ्री इंटरनेट की कीमत आपकी प्रावेसी है, इंटरनेट का मतलब सिर्फ़ गूगल बाबा नहीं है, बल्कि आपके कंप्यूटर मोबाइल में मौजूद हर वो चीज है जिसे आप इंटरनेट से जुड़े होने पर ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
WhatsApp से पहले हम 30 रुपए में 100 SMS कर पाते थे, वो भी 1 SMS 180 शब्दो मे सीमित होता था उसके आगे बढ़ने पर हमें 2 SMS का चार्ज देना पड़ता था, MMS (मीडिया फाइल) भेजने पर अलग से 5 रुपया लिया जाता था, ऐसे में WhatsApp ने हमें बताया आप हमें फ्री में इस्तेमाल करें (ऐड फ्री) बदले मे हमें कुछ नहीं चाहिए। हमने उसपर आंख बंद कर याकीन किया और अपना 30 रुपया प्रति 100 SMS बचा कर 50 रुपया मे 250MB इंटरनेट खरीदा और अनलिमिटेड मैसेज किया, जो चैट के नाम से प्रचलित हुआ।
हमने उस वक़्त ये नहीं सोचा जिस मैसेज के हमसे 30 पैसे चार्ज किये जा रहे थे, हमें अब वो फ्री में क्यों दिया जा रहा है! आज हमें वो बात समझ आ रही है, जब वही WhatsApp (फ़ेसबुक में सम्मिलित होने के बाद) हमें धमका रहा है, आप 8 फरवरी 2021 से पहले हमारी प्राइवेसी पॉलिसी अक्स्पेट कीजिये जिसमे हम आपका कोई भी डेटा कहीं भी इस्तेमाल कर सकते है, वरना आपको WhatsApp डिलीट करना पड़ेगा और आप अपना सारा डेटा खो देंगे। मतलब जो मेरा नहीं होगा वो हम आपका भी नहीं होने देंगे।
अब समझते है, WhatsApp ऐसा क्यों कर रहा है, WhatsApp जब से Facebook की प्रॉपर्टी बना है, तब से ही डेटा प्राइवेसी को लेकर कटघरे में है। इसकी सिर्फ़ एक वजह है, फ़ेसबुक की बिजनेस डेवलपमेंट पॉलीसी जिसके तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज (जिओ) से क़रार जो इंटरनेट पर भरात का सबसे बड़ा करार है जिसमे Facebook ने Jio Market का 10% स्टेक खरीदा है, मतलब जितना जिओ आगे बढ़ेगा फ़ेसबुक को उतना ही मुनाफ़ा होगा। क्या अब भी आप नहीं समझ रहे है, व्हाट्सएप्प ने अपनी प्राइवेसी पॉलीसी क्यों बदली है?
अब मैं आप को वो कानून बताता हूँ, जो हमें हमारी प्राइवेसी को ब्रीच होने से बचाता है, हालांकि भारत मे डेटा प्राइवेसी पर बात करने वाला कोई सीधा क़ानून नही है, न ही भारत GDRP और Deta Protection Directive जैसे संस्थानों से जुड़ा हुआ है। वो भला हो हमारे संविधान का जो अपने अनुच्छेद 21 के ज़रिए हमें निजता का अधिकार देता है, जिसके सहारे ह्यूमन राइट्स हमारे लिए आवाज़ उठा पता है। इंटरनेट की बढ़ते चलन की वजह से सरकार को 2000 IT ACT बनान पड़ा था, उसमे प्राइवेसी पर तब भी बात नहीं हुई थी, जिसे बाद में 2011 में 2 सेक्शन के साथ जोड़ा गया एक 43A दूसरा 72A जो हमारी जानकारी के अभाव में हमारा इंटरनेट पर मौजूद डेटा को कहीं इस्तेमाल करने को कानूनन अपराध की श्रेणी में डालता है।
हालांकि इतने से भी बात नहीं बन सकती है, ये क़ानून अब भी बिल्कुल ऐसा ही है जैसे, किसी ने किसी का मर्डर करने के लिए सुपारी दिया और उसे कॉन्ट्रैक्ट एक्ट 1872 के तहत परफॉर्म कर।दिया, जिसपर IPC और CrPc जैसा कोई कानून ही नहीं हो। मसलन, अगर आप व्हाट्सएप्प के नई प्राइवेसी पॉलिसी को एक्सेप्ट कर लेते है, तब फ़ेसबुक किसी भी कानूनी करवाई से बच जाएगा, क्योंकि उसे आपने ही अपना प्राइवेट डेटा कहीं भी इस्तेमाल करने का लाइसेंस मुहैय्या करवा दिया है।
अब भी वक़्त है, इस सोशल मीडिया पॉलिसी को ठीक से समझिये, आप के लिए भले ही प्राइवेसी कोई मायने नहीं रखता हो, पेर आपके साथ जो लोग जुड़े हैं, उनके लिए प्राइवेसी मायने रखती है, इसे ऐसे भी समझ सकते है, एक तरफ़ आप तो अपनी बीवी की तस्वीर पर उसका चहेरा छुपा कर पोस्ट कर रहे है दूसरी तरफ़ व्हाट्सएप्प पर बिना दुपट्टा के तस्वीर मंगवा कर फ़ेसबुक को उसे इस्तेमाल करने का लाइसेंस दे रहे हैं।
अगर बात अब भी समझ नहीं आ रही, तब Netflix पर the Social Dilemma देख सकते हैं। बाकी आगे आप की मर्ज़ी...
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