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Showing posts from September, 2018

ग़ालिब डिक्शनरी

गालिब सहाब के गजलो और शेर के कुछ हिन्दी शब्दार्थ ज़रूर ध्यान दें शोखे-तुंद-ख़ू - बिज़ली शोखे-तुंद-ख़ू - शरारती-अकड़ वाला हमसुख़न - अकसर बातें करना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़िए-अ़दू - दुश्...

सवाल

मेरा एक सवाल है कि जिनके पास कभी इस्लाम की दावत पहुंचा ही नहीं  या फिर जिनका जन्म से ही सोचने समझने की क्षमता ना हो तो फिर 1- ऐसे लोगो को अल्लाह तआला ने क्यों बनाया क्यों की आदमज...

पुराण और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)

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सत्य हमेशा स्पष्ट होता है, उसके लिए लिए किसी तरह की दलील की ज़रुरत नहीं . यह बात और है कि  हम उसे समझ न पायें या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रचार करें. यह बात अब छिपी नहीं रह...