गालिब सहाब के गजलो और शेर के कुछ हिन्दी शब्दार्थ ज़रूर ध्यान दें शोखे-तुंद-ख़ू - बिज़ली शोखे-तुंद-ख़ू - शरारती-अकड़ वाला हमसुख़न - अकसर बातें करना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़िए-अ़दू - दुश्...
मेरा एक सवाल है कि जिनके पास कभी इस्लाम की दावत पहुंचा ही नहीं या फिर जिनका जन्म से ही सोचने समझने की क्षमता ना हो तो फिर 1- ऐसे लोगो को अल्लाह तआला ने क्यों बनाया क्यों की आदमज...
सत्य हमेशा स्पष्ट होता है, उसके लिए लिए किसी तरह की दलील की ज़रुरत नहीं . यह बात और है कि हम उसे समझ न पायें या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रचार करें. यह बात अब छिपी नहीं रह...